Tuesday, April 14, 2009

हर रह में सफलता है...........

चाहे जिस राह चलो
हर राह में सफलता है
कोई ऎसी गली नहीं
जिसमे की लगे विफलता है। 
नामूमकिन नहीं कुछ भी
गाँठ बांध लें अभी
आदमी के उबलते खून से
वर्फ के चट्टान पिघलता है
विफलता आखिर होता है क्या? 
कोई आ कै जरा समझाये, 
बात कड़ी मेहनत की हो जो
ज्यादा करे वह ताज ले जाए
जीत उसी की होगी जिसकी
दिल में घोर तत्पर्ता है
देखो जर नदी, झीलों को 
कितना कोमल इसकी जलधारा है।
अविराम चट्टानों से लड़ता
कहो कब ये हारा है।
निडर निरंतर बहते जो पथ पर
उसीके आँखों में खुशियाँ झलकती है
साहस के दामन न छोड़
मनुष्य है तू सर्वश्रेष्ठ प्राणी 
अरे कुछ सबक ले चीटी से
इक्कीसवीं बार चढ़ेगी की गजब कहानी
इतिहास लिखता वही जीवन में 
जिसके छाती पे कष्ट संभलता है 
चाहे जिस रह चलो 
हर रह में सफलता है...........

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